ध्यान मेरा मुझसे अब जुड़ने लगा है
मूंद कर आँखें चेहरा दिखने लगा है
गहरे गहरे जब भी तलाशता हूं ज़मीं
कोई आस्मां से नीचे उतरने लगा है
धुंआ धुंआ हो रहा अंधेरों का सामां
कोई रोशन जलवा बिखरने लगा है
मौजूद मुझमें हैं अपने सभी मौजू
कोई रूहानी ख्याल बसने लगा है
हर लम्हा साथ रहने की चाहत में
संग रहने का इरादा बदलने लगा है
बदल रहा है मन ख़ुद से गहरा पूरा
परत - परत अंदाज खुलने लगा है
©सुरेश सारस्वत
#meditation