कौस -ओ -कजाह (rainbow )
जब भी बैचैन राते जेहन के
आसमाँ मे मचाऐ तुफान सा
शोर नफरत के बिजली का...
तुम डटे रेहना अपनी आच्छाई
पर इस उम्मीद के साथ..
आनेवाला नया सबेरा दिखायेगा
तुम्हे कल्ब के फलक पर
सपनो के रंग मे सजा
कौस-ओ -कजाह
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©Dr. BHAGYASHRI