White चलते चलते ये गली बे-जान होती जाएगी
रात होती जाएगी सुनसान होती जाएगी
देखना क्या है नज़र-अंदाज़ करना है किसे
मंज़रों की ख़ुद-ब-ख़ुद पहचान होती जाएगी
उस के चेहरे पर मुसलसल आँख रुक सकती नहीं
आँख बार-ए-हुस्न से हलकान होती जाएगी
सोच लो ये दिल-लगी भारी न पड़ जाए कहीं
जान जिस को कह रहे हो जान होती जाएगी
कर ही क्या सकती है दुनिया और तुझ को देख कर
देखती जाएगी और हैरान होती जाएगी
काकुल-ए-ख़मदार में ख़म और आते जाएँगे
ज़ुल्फ़ उस की और भी शैतान होती जाएगी
आते आते इश्क़ करने का हुनर आ जाएगा
रफ़्ता-रफ़्ता ज़िंदगी आसान होती जाएगी
जा चुकीं ख़ुशियाँ तो अब ग़म हिजरतें करने लगे
दिल की बस्ती इस तरह वीरान होती जाएगी
@ameer emaam
©दिवाकर
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