घूंट आंसू के, जो तुमने पी लिए ; वह यकीनन क्रांति ल | हिंदी Poetry

"घूंट आंसू के, जो तुमने पी लिए ; वह यकीनन क्रांति ला सकती थी । ... ©Krishna ka kavya"

 घूंट आंसू के, जो तुमने पी लिए ;
वह यकीनन क्रांति ला सकती थी ।


















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©Krishna ka kavya

घूंट आंसू के, जो तुमने पी लिए ; वह यकीनन क्रांति ला सकती थी । ... ©Krishna ka kavya

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