रुख न बादलों यूं इस कदर , बाग बिखर रहें हैं, पंखु | हिंदी Love

"रुख न बादलों यूं इस कदर , बाग बिखर रहें हैं, पंखुड़ियां चिलाती है, पत्ते करहातें हैं, तने यूं टूट जातें हैं, रुख न बादलों यूं इस क़दर फूल मुर्झा जाएंगे। ©Bhanu Priya"

 रुख न बादलों यूं इस कदर ,
बाग बिखर रहें हैं, 
पंखुड़ियां चिलाती है,
पत्ते करहातें हैं,
तने यूं टूट जातें हैं,
रुख न बादलों यूं इस क़दर फूल मुर्झा जाएंगे।

©Bhanu Priya

रुख न बादलों यूं इस कदर , बाग बिखर रहें हैं, पंखुड़ियां चिलाती है, पत्ते करहातें हैं, तने यूं टूट जातें हैं, रुख न बादलों यूं इस क़दर फूल मुर्झा जाएंगे। ©Bhanu Priya

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