ममता माँ कैसे कह दूँ ,तुम बिन पूरा हूंँ मैं माँ,
तुम बिन हर घड़ी ,हर पल अधूरा हूंँ मैं माँI
कौन माथा चूम कर, सुबह जगाएगा अब माँ,
कौन उंगली पकड़कर स्कूल ले जाएगा अब माँI
मेरे फटे कपड़ों पर कौन टाँका लगायेगा अब माँ,
कौन मेरे घावों पर मलहम लगायेगा अब माँ I
माँ कैसे कह दूँ ,तुम बिन पूरा हूंँ मैं माँ,
तुम बिन हर घड़ी ,हर पल अधूरा हूंँ मैं माँI
कुछ भी होने पर कौन नज़र मेरी उतरेगा अब माँ ,
मेरी फ़िक्र को इतना कौन संभालेगा अब माँ I
किसकी गोदी में सर रखके सो पाऊँगा अब माँ ,
किसके साथ रात-रात भर बतियाऊँगा अब माँ I
माँ कैसे कह दूँ, तुम बिन पूरा हूंँ मैं माँ ,
तुम बिन हर घड़ी, हर पल अधूरा हूंँ मैं माँ I
तेरे बनाए खाने के नखरे अब किसको दिखाऊँगा मैं माँ,
बिन कहे ही सब कुछ कौन समझ पाएगा अब माँ I
घर जाता हूंँ तो घर, घर नजर नहीं आता माँ,
तेरे बिना मुझे बिल्कुल नहीं रहा जाता अब माँ I
माँ कैसे कह दूँ ,तुम बिन पूरा हूंँ मैं माँ ,
तुम बिन हर घड़ी, हर पल अधूरा हूंँ माँ I
©A K Dholpuri
#ममता