निराशा जीवन में जब छा जातें हैं निराशा के बादल तब | हिंदी कविता

"निराशा जीवन में जब छा जातें हैं निराशा के बादल तब आँखों से धुल जाते हैं श्याम रंग के काजल ले जाता है चोरी करके गम लब की मुश्कान कुम्हलाया रुख देख के भौंरे हो जाते हैरान पत्थर दिल लगने लगती है हमको सारी दुनिया दूर छिटकने लगती डरकर हमसे सारी खुशियाँ बेखुद कोई निराशा से गर लड़कर जाए जीत गले लगाएगी ये दुनिया कह करके मनमीत ©Sunil Kumar Maurya Bekhud"

 निराशा
जीवन में जब छा जातें हैं
निराशा के बादल
तब आँखों से धुल जाते हैं
श्याम रंग के काजल

ले जाता है चोरी करके
गम लब की मुश्कान
कुम्हलाया रुख देख के भौंरे
हो जाते हैरान

पत्थर दिल लगने लगती है
हमको सारी दुनिया
दूर छिटकने लगती डरकर
हमसे सारी खुशियाँ

बेखुद कोई निराशा से गर
लड़कर जाए जीत
गले लगाएगी ये दुनिया
कह करके मनमीत

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

निराशा जीवन में जब छा जातें हैं निराशा के बादल तब आँखों से धुल जाते हैं श्याम रंग के काजल ले जाता है चोरी करके गम लब की मुश्कान कुम्हलाया रुख देख के भौंरे हो जाते हैरान पत्थर दिल लगने लगती है हमको सारी दुनिया दूर छिटकने लगती डरकर हमसे सारी खुशियाँ बेखुद कोई निराशा से गर लड़कर जाए जीत गले लगाएगी ये दुनिया कह करके मनमीत ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#Silence

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