Google मौन लब थे मगर ज़ेहन मज़बूर था प्याला म | हिंदी Poetry

"Google मौन लब थे मगर ज़ेहन मज़बूर था प्याला मैं साक़ी मगर कोई और था गिला शराब का किससे क्या करिये सियासी सुरूर में नशेमन मगरूर था. ©Shiv Narayan Saxena"

 Google मौन  लब थे  मगर  ज़ेहन मज़बूर था 
प्याला  मैं  साक़ी मगर कोई और था 
गिला  शराब का किससे  क्या करिये 
सियासी सुरूर में नशेमन मगरूर था.

©Shiv Narayan Saxena

Google मौन लब थे मगर ज़ेहन मज़बूर था प्याला मैं साक़ी मगर कोई और था गिला शराब का किससे क्या करिये सियासी सुरूर में नशेमन मगरूर था. ©Shiv Narayan Saxena

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