नफरतों का चलन है या कोई गहन ये है राख भी हो रहे है | हिंदी Poetry Vide

"नफरतों का चलन है या कोई गहन ये है राख भी हो रहे हैं धुआं भी उठ रहा है जल रहे हैं सब यहां हम फिर भी सो रहे हैं ©NEERAJ KUMAR "

नफरतों का चलन है या कोई गहन ये है राख भी हो रहे हैं धुआं भी उठ रहा है जल रहे हैं सब यहां हम फिर भी सो रहे हैं ©NEERAJ KUMAR

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