Unsplash सबने अपने ही लकीरों का वास्ता देकर।
मेरा रास्ता है रोका गैर को रास्ता दे कर।
मैं जो कि देख सकता था उसे दूर तक जाते हुए,
लौट आया तो बड़ी घुटन सी क्यों होती है।
ये कौन सा इंतजाम है इश्क का,
अपने गुनाह मेरे नाम कर के रोती है।
ये जो झगड़ा है वो उम्मीद है सहारे की,
मोहब्बत में इतना तौल मोल कौन करता है।
हमारे वास्ते हमसे ही लड़ना झूठ है निर्भय,
धोखा खाने पे अजनबी से झगड़ा कौन करता है।
तुम्हारे साथ थे तो दुनिया सारी चाहिए थी तो,
हमारे बाद दुनिया छोड़ने की बात क्यों की है।
मेरा दिल उजालों का एक मुकम्मल शहर था और,
अंधेरे कमरे में अंधे लोगों के संग रात क्यों की।
कोई मुझसे भी अच्छी ग़ज़लें लिखता है पढ़ता है?
मुझे बताओ तुमने उससे बात क्यों की है।
तलब थी या जरूरत जो भी हो लेकिन,
मोहब्बत के लिए मैं खुद माफी नहीं दूंगा।
ठिठुर के मर जा सर्दी में या कविताएं लिख तू भी,
तुझे मैं अपने हिस्से की अब कॉफी नहीं दूंगा।
©निर्भय चौहान
कॉफी नहीं दूंगा
#leafbook @Kumar Shaurya वरुण तिवारी Vishalkumar "Vishal" @Rakhee ki kalam se katha(कथा) शायरी दर्द लव शायरी हिंदी में शायरी हिंदी शेरो शायरी खूबसूरत दो लाइन शायरी