Unsplash कमरे में एक हवा का झोंका
दाख़िल हुआ
मेज पर पड़ी हुई सदियो से
धूल खा रही डायरी के पन्ने पलट दिए
कमरे में एक भीनी जानी पहचानी सी
खुशबू सी फ़ैल गई
शायद उन पीले हो चुके पन्नो की थी
डायरी में किसी का दिया हुआ
सूख चुका गुलाब पड़ा था,
जिसने अपने हिस्से की स्याही सोक ली थी
कुछ खत थे
जाने किसके नाम
ना तो नाम लिखा था
ना ही पता
शायद लिखने वाले ने
कागज़ पर लिख के
मन ही मन में इज़हार कर दिया था।
©Navneet Rai
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