रचना दिनांक 23 फरवरी 2025
वार रविवार
समय सुबह पांच बजे
््शीर्षक ््
्््गगन मंडल में बादलों से सजाया है ,
छिन्न भिन्न भिन्न रूप में रुप रुप में
अनेक अनेकानेक अध्यात्मिक दर्शन अध्यात्म से
ही सुन्दर छबि मनोमय प्यारी सी मुस्कान
मन्द अधर पर ले उड़े होश से समझो तो ्््
साधू और शैतान ,,सिंह और पशु प्रेमी,, प्रेम और प्रेमिका,,
मैं और प्रेमी का स्वरूप प्रेम में बने रहना ।।
सकल जगत में एक नवीन प्रयोग है ,,
जो भी व्यक्ति अपनी रूह में खोकर देखें तो यह सब कुछ है
जो धरती पर जीवन से सब कुछ सीखता है।।
यही नहीं ठहरता पल अनमोल समय हालात पर,,
हर हाल से अपनी बात खुद बखूद सीख बनकर तैयार रहता है।।
यह सीख दे रहे हैं जो जीना चाहते हैं।।
और चाहत में एक कला संस्कृति साहित्य इतिहास में
पहली किरण से अपनी दिशा लेकर आया है,,
हर युवा जगत में एक स्वर पुकार नाद
प्रेम और विश्वास प्यार आदर्श आचार विचार व्यक्तित्व में
निखार ही जिंदगी में फरवरी माह का वैलेंटाइन डे
मनाना का सही तरीका नीति नियत परिधि संदेश है।।
्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ््
23। फ़रवरी 2025
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©Shailendra Anand
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