ज़िंदगी, अब तो संयम ले लेने दे, हर दर्द का मरहम ले | हिंदी Shayari

"ज़िंदगी, अब तो संयम ले लेने दे, हर दर्द का मरहम ले लेने दे। थक गया हूँ तेरे उलझे सवालों से, अब तो ख़ुद से भी एक कदम ले लेने दे। हर ख्वाब टूटा, हर आस बिखरी, अब बस थोड़ी राहत का दम ले लेने दे। जो बिखरा पड़ा हूँ मैं इस वीराने में, मुझे भी तन्हाई का भरम ले लेने दे। बहुत लड़ लिया हूँ तेरी साजिशों से, अब अपनी हार का अलम ले लेने दे। ज़िंदगी, बस थोड़ा ठहर जा आज, मुझे ख़ुद को ख़ुद में समेट लेने दे। ©UNCLE彡RAVAN"

 ज़िंदगी, अब तो संयम ले लेने दे,
हर दर्द का मरहम ले लेने दे।
थक गया हूँ तेरे उलझे सवालों से,
अब तो ख़ुद से भी एक कदम ले लेने दे।

हर ख्वाब टूटा, हर आस बिखरी,
अब बस थोड़ी राहत का दम ले लेने दे।
जो बिखरा पड़ा हूँ मैं इस वीराने में,
मुझे भी तन्हाई का भरम ले लेने दे।

बहुत लड़ लिया हूँ तेरी साजिशों से,
अब अपनी हार का अलम ले लेने दे।
ज़िंदगी, बस थोड़ा ठहर जा आज,
मुझे ख़ुद को ख़ुद में समेट लेने दे।

©UNCLE彡RAVAN

ज़िंदगी, अब तो संयम ले लेने दे, हर दर्द का मरहम ले लेने दे। थक गया हूँ तेरे उलझे सवालों से, अब तो ख़ुद से भी एक कदम ले लेने दे। हर ख्वाब टूटा, हर आस बिखरी, अब बस थोड़ी राहत का दम ले लेने दे। जो बिखरा पड़ा हूँ मैं इस वीराने में, मुझे भी तन्हाई का भरम ले लेने दे। बहुत लड़ लिया हूँ तेरी साजिशों से, अब अपनी हार का अलम ले लेने दे। ज़िंदगी, बस थोड़ा ठहर जा आज, मुझे ख़ुद को ख़ुद में समेट लेने दे। ©UNCLE彡RAVAN

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