Unsplash ✍️आज की डायरी✍️
✍️लिखने की कोशिश जरूर होती है....✍️
ये अल्फ़ाज़ जो मैं लिखता हूं एक सोच होती है ।
कभी वक़्त से कभी हालात से खाई चोट होती है ।।
शौक़ नहीं है दर्द -ए-गम को सरेआम करने की ।
सुकून पाने के लिए ये खता हमसे रोज़ होती है ।।
भावनाओं के खेल में कौन जीता कौन हारा है ।
दिल में समझने की ये कोशिश पुरजोर होती है ।।
उदासी की वजह नज़रें ही बखूबी पहचानती हैं ।
चेहरे पर हँसी लाने को ये आँखें मज़बूर होती है ।।
यूँ ही काग़ज और कलम नहीं उठाता हूँ "नीरज"।
बस रोज़ जज्बात लिखने की कोशिश जरूर होती है ।।
✍️नीरज✍️
©डॉ राघवेन्द्र
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