पल्लव की डायरी दखल अब महँगाई का सरेआम सता रहा है स | हिंदी कविता

"पल्लव की डायरी दखल अब महँगाई का सरेआम सता रहा है सिकुड़ती कमाई आमजन की सूनापन बर्तनों और कपो में छा रहा है छूट गयी मेजबानी लोगो की ,चाय की राशन दूध गैस पर अधिकार आमजन खोता जा रहा है घर घर की दुर्दशा करके मंत्र बटोगे तो कटोगे का दिया जा रहा है डीजल पेट्रोल जाने किसके हवाले है इसके मद से किसका विकास किया जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव""

 पल्लव की डायरी
दखल अब महँगाई का
सरेआम सता रहा है
सिकुड़ती कमाई आमजन की
सूनापन बर्तनों और कपो में छा रहा है
छूट गयी मेजबानी लोगो की ,चाय की
राशन दूध गैस पर 
अधिकार आमजन खोता जा रहा है
घर घर की दुर्दशा करके
मंत्र बटोगे तो कटोगे का दिया जा रहा है
डीजल पेट्रोल जाने किसके हवाले है
इसके मद से किसका विकास किया जा रहा है
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

पल्लव की डायरी दखल अब महँगाई का सरेआम सता रहा है सिकुड़ती कमाई आमजन की सूनापन बर्तनों और कपो में छा रहा है छूट गयी मेजबानी लोगो की ,चाय की राशन दूध गैस पर अधिकार आमजन खोता जा रहा है घर घर की दुर्दशा करके मंत्र बटोगे तो कटोगे का दिया जा रहा है डीजल पेट्रोल जाने किसके हवाले है इसके मद से किसका विकास किया जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#chai छूट गयी लोगो की मेजबानी चाय की

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