ये शाम ए रंगीन.. और ये.. अशिक़ाना समा.. साथ में लब | हिंदी Poetry

"ये शाम ए रंगीन.. और ये.. अशिक़ाना समा.. साथ में लबों का यूँ.. कुछ गीत गुनगुनाना, ये सारे यूँ ही.. शाम ए मिज़ाज़.. तो नहीं हैं.. कुछ तो तुम्हारे.. इशारे भी.. शामिल हैं इनमें..! ©Jayashree Mishra."

 ये शाम ए रंगीन..
और ये..
अशिक़ाना समा.. 
साथ में लबों का यूँ..
कुछ गीत गुनगुनाना,
ये सारे यूँ ही..
शाम ए मिज़ाज़..
तो नहीं हैं.. 
कुछ तो तुम्हारे..
इशारे भी..
शामिल हैं इनमें..!

©Jayashree Mishra.

ये शाम ए रंगीन.. और ये.. अशिक़ाना समा.. साथ में लबों का यूँ.. कुछ गीत गुनगुनाना, ये सारे यूँ ही.. शाम ए मिज़ाज़.. तो नहीं हैं.. कुछ तो तुम्हारे.. इशारे भी.. शामिल हैं इनमें..! ©Jayashree Mishra.

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