मज़बूरी " तुम्हारे साथ जीने मरने की कसम खाई है इ | हिंदी शायरी

"मज़बूरी " तुम्हारे साथ जीने मरने की कसम खाई है इसलिए मैं तुम्हें छोड़कर कहीं भी जा नहीं सकता। ज़ुल्म ओ सितम करना तुम्हारा हक़ और इश्क़ ए वफ़ा है,इसको सहाना मेरे प्यार की मजबूरी है। ©Anuj Ray"

 मज़बूरी "

तुम्हारे साथ जीने मरने की कसम खाई है 
इसलिए मैं तुम्हें छोड़कर कहीं भी जा नहीं सकता।

ज़ुल्म ओ सितम करना तुम्हारा हक़ और 
इश्क़ ए वफ़ा है,इसको सहाना मेरे प्यार की मजबूरी है।

©Anuj Ray

मज़बूरी " तुम्हारे साथ जीने मरने की कसम खाई है इसलिए मैं तुम्हें छोड़कर कहीं भी जा नहीं सकता। ज़ुल्म ओ सितम करना तुम्हारा हक़ और इश्क़ ए वफ़ा है,इसको सहाना मेरे प्यार की मजबूरी है। ©Anuj Ray

# मज़बूरी "

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