(मेरी कहानी पार्ट 3)
शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं. मेरे बुझने का नज़्ज़ारा करने आ जाते होंगे
जान घड़ी देखते देखते मेरी आंख थक गई की तुम अब क्या कर रही होगी कि तुम वो कर रही होगी तुम वो कर रही होगी अब रात हो गई है तुम्हारी तस्वीर से बात कर रहा हूं बस बोल नहीं रही में रो रहा हूं एक बार भी चुप नहीं करा रही ऐसा क्यों जान देखो मैं खुद बहुत समझा रहा हूं की सो जाओ बहुत रात हो गई है सुबह उठना भी है लेकिन मेरी आंख मुझसे बगावत कर रही है सो नही रही है अब ऐसा लग रहा है की अब कुछ भी मेरे बस में नहीं है खैर आज की रात मेरे लिए बहुत मुश्किल है ।
©Daniyal
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