धुंध सी है जिंदगी, है धुएं सा समा,
अब होती नही यारों, अपनी महफिल जमा,
डर का माहौल है, है खौफ के निशान,
फिर लौट आया कोरोना, लेकर मौत का पैगाम,
वक्त फिर वो ही पुराना लौटने को है,
तमाशा ए मौत फिर लौटने को है,
ना हो अगर परवाह तुम्हे अपनी तो कोई बात नही ,
कर लो बस ज़रा सी परवाह अपनो की तो,
धुंध सी है जिंदगी, है धुएं सा समा,
अब होती नही यारों, अपनी महफिल जमा,
©Alfaaz Dil se
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