दिल की गहराइयों में जब एक ज्वाला सुलगती है,
आत्मा के हर कोने में एक टीस सी जागती है।
वो दर्द जो बाहर न आए कभी भी जुबाँ पर,
वो भीतर ही भीतर सबकुछ राख करता है।
सपनों के महल जब खंडहर में बदल जाएँ,
और उम्मीद की किरण भी छुप कर कहीं खो जाए।
आत्मा का हर एक हिस्सा जैसे चीख उठता हो,
मगर उसकी आवाज़ बस ख़ामोशी में घुल जाती हो।
हर मुस्कान के पीछे छुपा हुआ एक टूटा सा आईना,
जो दिखाता है मेरी बिखरी हुई आत्मा का अक्स।
वो जो एक वक्त रोशन था, अब अंधकार में खो गया,
हर टुकड़ा, हर ख़्वाब किसी ने जैसे बेरहमी से तोड़ दिया।
रूह में जलन है, दिल में एक ठहरा हुआ तूफ़ान,
जो अंदर से सब बर्बाद कर चुका है अनजान।
कोई तो है जो इस आग का कारण बना है,
जिसने आत्मा के हर फूल को जलाकर धुआँ कर दिया है।
अब न राहत, न चैन, बस सिसकियों का आलम है,
खुद को समेटूँ तो भी हर हिस्सा जैसे बेदर्दी से बिखरता है।
ये आत्मा जो कभी प्यार का प्रतीक थी,
अब बस राख है, एक बुझा हुआ चिराग है।
आत्मा का अंतर्दाह, जो रुकता ही नहीं,
वो चीखें जो कभी पूरी तरह सुनाई देती नहीं।
अब सब कुछ जल चुका है, बस एक राख का टीला है,
जिसमें कभी आत्मा थी, आज वो सिर्फ़ एक खाली साया है।
©UNCLE彡RAVAN
#LostInCrowd