Hindi SMS shayari कोसा गया,रुसवा हुआ
हर बार,मैं ज़माने में
और क्या क्या नहीं
क्या क्या नहीं
मैं खुद में यूं किसी
मुरझाए फूल सा मुरझा गया
अस्तित्व में,हर बार,हर साल
सुलझा गया दिल की उलझनों को
पर,मन की उलझनों में उलझा गया
तोहीन जो कि मैंने जब कभी
उनके विचारों(रूढ़ीवादी)की तोह,सच कहूं
लोगों की नजरों में
मैं सदैव असहाय ही समझा गया
©Yãsh BøRâ
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