इंसानी भावनाएं भी तकनीक की मोहताज हो गई है,
इमोजी हंस दिया ,और चेहरे की हसीं गायब हो गई है,
दुख में किसी के ,अब कोई आंसू नहीं बहाता है,
रोती हुई इमोजी से ,अपना वो फर्ज है निभाता,
दिल भी कहाँ अब लोगो के सीने मे , धड़कता है,
बस एक स्पर्श तकनीकी का, हर भाव प्रकट करता है,
भावनाएं भी आहत होकर ,अब मानव को छोड़ गई,
मुट्ठी में बंद दुनिया है ,जो इंसानियत को तोड़ गई,
हर रिश्ता, जब महज तकनिकी से निभाया जायेगा,
भावनाएं इमोजी में है,तो चेहरे पर भाव कैसे आएगा,
हर पल बदल रही है , इंसान की परिभाषा,
आज कल इंसानों ने छोड़ दी है,सम्बन्धो की आशा ll
सृष्टि सिंह
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