"भला तुझसे कैसी नाराजगी, तुझसे कैसी सिकायत। मैं दुआ करूँगा की मेरी वजह से कभी तेरी आँखे नम न हो, तुझे कोई गम न हो। तु आबाद रहना ऊन गलियों में भी जहाँ मेरी मनहूस छाया कम न हो।"
भला तुझसे कैसी नाराजगी, तुझसे कैसी सिकायत। मैं दुआ करूँगा की मेरी वजह से कभी तेरी आँखे नम न हो, तुझे कोई गम न हो। तु आबाद रहना ऊन गलियों में भी जहाँ मेरी मनहूस छाया कम न हो।