विगत दो दिन एक ही मनोदशा में बहता रहा, बहुत कुछ बेपरवाह अपने आप को पाया। अपने जीवन में कुछ नया सीखने को मिला, साहित्य का विद्यार्थी होते हुए भी जो कुछ पढ़ने के बाद मिला था, उससे व्यापक ज्ञान क्षेत्र हमारे सम्मुख से था। उस समय मैंने अपने आप को एक दुनिया में पाया। एक ऐसी दुनिया जिसमें खुद ही खुद होने का एहसास हो तो कितना सुन्दर होती दुनिया। काश ऐसा होता कि हम अपने एहसास को उसकी सम्पूर्ण अर्थवत्ता में जी सकते।
©amarendra srivastava
#alone