मरूभूमि का चांद बन गया धर्मपिता का जीवन बचपन और ज | हिंदी Life

"मरूभूमि का चांद बन गया धर्मपिता का जीवन बचपन और जवानी में पैतृक स्थल छूटा, जिम्मेदारी ने कर्तव्य के अग्निपथ पर कदम रखा, और जब वक्त ने सुकुन से जीने का अवसर दिया तो सुकुन ही छीन लिया! सर्वथा ,एकाकी जीवन !! निरंतर संघर्षरत जीवन ! सदैव दूसरों के लिए; जीवन स्वयं को ; कर्मभूमि का सूर्य बनाया मगर उनका जीवन ; मरूभूमि ही बनकर रह श्रयंगया मेरे धर्म पिता तो मरूभूमी का चांद बन गये बस मातारानी उन्हें शांति और शीतलता देना। ©Aditi Chouhan"

 मरूभूमि का चांद बन गया 
धर्मपिता का जीवन
बचपन और जवानी में पैतृक स्थल छूटा,
जिम्मेदारी ने कर्तव्य के अग्निपथ पर कदम रखा,
और जब वक्त ने सुकुन से जीने का अवसर दिया 
तो सुकुन ही छीन लिया!
सर्वथा ,एकाकी जीवन !!
निरंतर संघर्षरत जीवन !
सदैव दूसरों के लिए; 
जीवन स्वयं को ;
कर्मभूमि का सूर्य बनाया 
मगर उनका जीवन ;
मरूभूमि ही बनकर रह श्रयंगया 
मेरे धर्म पिता तो मरूभूमी का
चांद बन गये
बस मातारानी उन्हें शांति और शीतलता देना।

©Aditi Chouhan

मरूभूमि का चांद बन गया धर्मपिता का जीवन बचपन और जवानी में पैतृक स्थल छूटा, जिम्मेदारी ने कर्तव्य के अग्निपथ पर कदम रखा, और जब वक्त ने सुकुन से जीने का अवसर दिया तो सुकुन ही छीन लिया! सर्वथा ,एकाकी जीवन !! निरंतर संघर्षरत जीवन ! सदैव दूसरों के लिए; जीवन स्वयं को ; कर्मभूमि का सूर्य बनाया मगर उनका जीवन ; मरूभूमि ही बनकर रह श्रयंगया मेरे धर्म पिता तो मरूभूमी का चांद बन गये बस मातारानी उन्हें शांति और शीतलता देना। ©Aditi Chouhan

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