ये कैसा बदलाव है
हर एक मोड़ पर घाव है
जीवन सदी या दबी रह गई
या दोनों की टकराव है?
कौन अपना कौन पराया
यह बात किसने बतलाया
जिसको जिसने देखा जैसे
वैसे मन में छवि बनाया।
रस के रसिक कहां खोए थे
रिश्तों के कुछ बीज बोए थे
अपनो से आशीष की मांग थी
उस डगर सभी ने हाथ धोए थे।
अकेले था चलना,तो सीख रहे थे
बाजारों में लोग जो चीख रहे थे
गर सुना किसी का कोई बात
तो मंजिल मे कंकड़ दीख रहे थे।
©Aakash Dwivedi
#विचार #Like #कविता #Love #कहानी #AakashDwivedi #shayri #प्यार