जमीर को खरोचा तो जख्म नए उभर आए बदन पे... उस दिन म | हिंदी Shayari

"जमीर को खरोचा तो जख्म नए उभर आए बदन पे... उस दिन मोहब्बत को मार कर... खंजर पार किया इस दिल के... मैने बहुत कहा... रुक जा अब क्या जान लेगा खुद की?? वो बोला अभी तो शुरुआत है...टुकड़े कई करने है इस तन के.... ©Sky Singh"

 जमीर को खरोचा तो जख्म नए उभर आए बदन पे...
उस दिन मोहब्बत को मार कर...
खंजर पार किया इस दिल के...
मैने बहुत कहा... रुक जा अब क्या जान लेगा खुद की??
वो बोला अभी तो शुरुआत है...टुकड़े कई करने है इस तन के....

©Sky Singh

जमीर को खरोचा तो जख्म नए उभर आए बदन पे... उस दिन मोहब्बत को मार कर... खंजर पार किया इस दिल के... मैने बहुत कहा... रुक जा अब क्या जान लेगा खुद की?? वो बोला अभी तो शुरुआत है...टुकड़े कई करने है इस तन के.... ©Sky Singh

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