गंवाया नहीं आंखों से निकला अश्क। उठा के उसे इश्क क | हिंदी शायरी

"गंवाया नहीं आंखों से निकला अश्क। उठा के उसे इश्क के धागे में पिरोते रहे । आंएगे और हाल पूछेंगे कभी तो वो। आश इसी में हम ख़ाव संजोते रहे। सुदेश दीक्षित ©Varun Vashisth"

 गंवाया नहीं आंखों से निकला अश्क।
उठा के उसे इश्क के धागे में पिरोते रहे ।

आंएगे और हाल पूछेंगे कभी तो वो।
आश इसी में हम ख़ाव संजोते रहे।

सुदेश दीक्षित

©Varun Vashisth

गंवाया नहीं आंखों से निकला अश्क। उठा के उसे इश्क के धागे में पिरोते रहे । आंएगे और हाल पूछेंगे कभी तो वो। आश इसी में हम ख़ाव संजोते रहे। सुदेश दीक्षित ©Varun Vashisth

#samay

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