कुछ कहानियां लिखी नहीं जा सकती,
बस उन्हें महसूस किया जा सकता है।
कुछ एहसासों को शब्दों में बयां नहीं किया का सकता।
ये लम्हा भी कुछ ऐसा ही है।
मैं भी ऐसी ही कहानी बनना चाहता हूं।
एक ऐसा एहसास जिसकी कोई व्याख्या ना हो। मैं निकल तो पड़ा हूं इस पथ पर, मंज़िल तक ना भी पहुंच पाया तो भी मेरे सफर की कहानी कुछ अलग होगी।
.
.