उनकी मोहब्बत को सलाम देता है दिल जो मुझमें रहा बा | हिंदी शायरी

"उनकी मोहब्बत को सलाम देता है दिल जो मुझमें रहा बाकी तमाम देता है दिल वो बहुत दूर चले मेरे हमकदम बनकर अब ज़रा ख़ुद को आराम देता है दिल ऐसा नहीं कि उनसे रंजिशें रखकर जियें बाकायदा दुआएँ सुब्ह शाम देता है दिल रस्म-ए-उल्फ़त ही तो अदा किया उन्होंने हर जफ़ा को भी उनकी इनाम देता है दिल इश्क़ में टूटकर भी हम रोये तो नहीं मगर मोहब्बत को मनोरंजन नाम देता है दिल ©अज्ञात"

 उनकी मोहब्बत को सलाम देता है दिल 
जो मुझमें रहा बाकी तमाम देता है दिल 

वो बहुत दूर चले मेरे हमकदम बनकर 
अब ज़रा ख़ुद को आराम देता है दिल 

ऐसा नहीं कि उनसे रंजिशें रखकर जियें 
बाकायदा दुआएँ सुब्ह शाम देता है दिल 

रस्म-ए-उल्फ़त ही तो अदा किया उन्होंने 
हर जफ़ा को भी उनकी इनाम देता है दिल 

इश्क़ में टूटकर भी हम रोये तो नहीं मगर 
मोहब्बत को मनोरंजन नाम देता है दिल

©अज्ञात

उनकी मोहब्बत को सलाम देता है दिल जो मुझमें रहा बाकी तमाम देता है दिल वो बहुत दूर चले मेरे हमकदम बनकर अब ज़रा ख़ुद को आराम देता है दिल ऐसा नहीं कि उनसे रंजिशें रखकर जियें बाकायदा दुआएँ सुब्ह शाम देता है दिल रस्म-ए-उल्फ़त ही तो अदा किया उन्होंने हर जफ़ा को भी उनकी इनाम देता है दिल इश्क़ में टूटकर भी हम रोये तो नहीं मगर मोहब्बत को मनोरंजन नाम देता है दिल ©अज्ञात

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