#FourLinePoetry हो गई फिर से शरारत क्या करें हम। ब | हिंदी कविता

"#FourLinePoetry हो गई फिर से शरारत क्या करें हम। बचपनें से हमको' आदत क्या करें हम।। नखचढ़ी नखरैल खर्चीली बहुत है, पर हमें उससे मुहब्बत क्या करें हम।। ©संतोष बरमैया #जय"

 #FourLinePoetry हो गई फिर से शरारत क्या करें हम।
बचपनें से हमको' आदत क्या करें हम।।

नखचढ़ी नखरैल खर्चीली बहुत है,
पर हमें उससे मुहब्बत क्या करें हम।।

©संतोष बरमैया #जय

#FourLinePoetry हो गई फिर से शरारत क्या करें हम। बचपनें से हमको' आदत क्या करें हम।। नखचढ़ी नखरैल खर्चीली बहुत है, पर हमें उससे मुहब्बत क्या करें हम।। ©संतोष बरमैया #जय

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