जिस सुबह साथ तुम ना हो,
वो सुबह, सुबह नहीं लगता तुम बिन...
जिस शाम मे तुम ना हो,
वो शाम, शाम नहीं लगता तुम बिन...
जिस लफ्ज़ मे ज़िक्र तुम्हारा ना हो,
वो लफ्ज़ मुझे लफ्ज़ नहीं लगता तुम बिन..
और तुम अकेले जीने की बात करती हो,
मेरी तो सांसे भी थम जाती है तुम बिन..
©अनकही बात...
Tum bin....
#Hum