तारों को छूने की ख़्वाहिश लेकर निकली थी बाहर ज़ख़् | हिंदी Video

तारों को छूने की ख़्वाहिश लेकर निकली थी बाहर
ज़ख़्म मिले राहों में हरदम, ठोकर खाई पग-पग पर
टूटे पंख लिए बैठी हूं अब परवाज़ भरूं कैसे
उड़ने की है चाह बहुत पर गिरने से लगता है डर
©charudatta_kelkar

#muktak #Hindi #urdu #kavita

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