*छतरी पर लेटी धूप* तपती भरी दोपहरी में, घर से नि | हिंदी कविता Video

"*छतरी पर लेटी धूप* तपती भरी दोपहरी में, घर से निकलते ही मैंने तान ली है अपनी पीली छतरी मेरी खुली छतरी पर होकर सवार पीली चमकीली धूप चल पड़ी है मेरी सहयात्री बनकर ... छतरी ताने मैं निकल आई हूं बहुत दूर, अनगिनत ख्यालों, सवालों को उधेड़ते – बुनते, स्वयं से प्रश्न –उत्तर करते जीवन की धूप– छांव से झुलसते संवरते , सफ़र की थकान से बेपरवाह होते । छतरी की छाया में चलते हुए मैंने देखा धूप अब भी मेरे साथ चल रही है , पीली छतरी पर लेटे – लेटे । © Pallavi pandey "

*छतरी पर लेटी धूप* तपती भरी दोपहरी में, घर से निकलते ही मैंने तान ली है अपनी पीली छतरी मेरी खुली छतरी पर होकर सवार पीली चमकीली धूप चल पड़ी है मेरी सहयात्री बनकर ... छतरी ताने मैं निकल आई हूं बहुत दूर, अनगिनत ख्यालों, सवालों को उधेड़ते – बुनते, स्वयं से प्रश्न –उत्तर करते जीवन की धूप– छांव से झुलसते संवरते , सफ़र की थकान से बेपरवाह होते । छतरी की छाया में चलते हुए मैंने देखा धूप अब भी मेरे साथ चल रही है , पीली छतरी पर लेटे – लेटे । © Pallavi pandey

#Umbrella

People who shared love close

More like this

Trending Topic