अब जो छिड़ ही गई है बात पानी की
फिर सुनिए हमसे एक करामात पानी की
मेरे जैसे हर सांचे में ढल जाता है
यानि मेरे जैसी ही है ज़ात पानी की
मछलियों की सी जिंदगी है हम लोगों की
ज़ख्म पानी के है और निजात पानी की
हर कतरा मेरी आंख का आंसू बन जायेगा
ऐसे मिटेगी आखिरश हयात पानी की
मैं जिस काबिल हूं खुदा उतना ज़रूर करूंगा
"जग्गी" लिहाज़ा अदा कर रहा हूं ज़कात पानी की
©Jagjeet Singh Jaggi... ख़्वाबगाह...!
#pani