मैं हूँ तेरी झलक में चाँद तारों में फ़लक में मैं | हिंदी कविता

"मैं हूँ तेरी झलक में चाँद तारों में फ़लक में मैं हूँ जननी जगत की ज़मीं सागर तलक में मैं राधा बन के नाचूं मैं मीरा बन के गाऊं मैं भटके इस जगत को सही रस्ता दिखाऊं मैं मन की आस भी हूँ तेरा विश्वास भी हूँ मैं ममता भी हूँ माँ की प्यार का वास भी हूँ मैं नित सिंगार भी हूँ प्रेम का सार भी हूँ मुझे देखोगे देह में तो फिर संहार भी हूँ -सरिता मलिक बेरवाल ©Sarita Malik Berwal"

 मैं हूँ तेरी झलक में 
चाँद तारों में फ़लक में 
मैं हूँ जननी जगत की 
ज़मीं सागर तलक में 
मैं राधा बन के नाचूं 
मैं मीरा बन के गाऊं 
मैं भटके इस जगत को 
सही रस्ता दिखाऊं 
मैं मन की आस भी हूँ 
तेरा विश्वास भी हूँ 
मैं ममता भी हूँ माँ की 
प्यार का वास भी हूँ 
मैं नित सिंगार भी हूँ 
प्रेम का सार भी हूँ 
मुझे देखोगे देह में 
तो फिर संहार भी हूँ 


-सरिता मलिक बेरवाल

©Sarita Malik Berwal

मैं हूँ तेरी झलक में चाँद तारों में फ़लक में मैं हूँ जननी जगत की ज़मीं सागर तलक में मैं राधा बन के नाचूं मैं मीरा बन के गाऊं मैं भटके इस जगत को सही रस्ता दिखाऊं मैं मन की आस भी हूँ तेरा विश्वास भी हूँ मैं ममता भी हूँ माँ की प्यार का वास भी हूँ मैं नित सिंगार भी हूँ प्रेम का सार भी हूँ मुझे देखोगे देह में तो फिर संहार भी हूँ -सरिता मलिक बेरवाल ©Sarita Malik Berwal

#Radha

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