White सुबह से शाम तक दीए लेकर वो आश पाली है
खरीदोगे अगर हमसे तो मेरी भी दीवाली है
देखो यूं मुंह न फेरो फटे कपड़ों कि जानिब से
अंधेरा है मेरे घर में, उम्मीदें तुमसे पाली है
इधर है शाम आने को,उधर बच्चे है पग तकते
मेरी रेड़ी पे भी आओ, मुझे मड़ई सजानी है
चमकते मॉल कल्चर ने हमे बेमौत मारा है
तुम्हीं से पेट पलता है,तुम्हीं से जिंदगानी है
सुबह से शाम तक दीए लेकर वो आश पाली है
खरीदोगे अगर हमसे तो मेरी भी दीवाली है
राजीव
©samandar Speaks
#good_night अंजान @Satyaprem Upadhyay @Mukesh Poonia @Radhey Ray @Internet Jockey