होश एक नक़ाब है। मदहोशी है सच्चाई।। इश्क - विश्क | हिंदी Poetry Video

"होश एक नक़ाब है। मदहोशी है सच्चाई।। इश्क - विश्क सब फरेब है। ये तू कहां से, कौन से दौर से चली आई।। और, अब ये ग़ज़ल - वज़ल कौन लिखे।। हां, इजाज़त दे, तो कमर पे गड़ दूं इक रूबाई।। ©Yogi Jigar Sharma "

होश एक नक़ाब है। मदहोशी है सच्चाई।। इश्क - विश्क सब फरेब है। ये तू कहां से, कौन से दौर से चली आई।। और, अब ये ग़ज़ल - वज़ल कौन लिखे।। हां, इजाज़त दे, तो कमर पे गड़ दूं इक रूबाई।। ©Yogi Jigar Sharma

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