White बहारों का लहर है उसमे,मै एक फूल का भौरा जैसा,
वो स्वयं में संपूर्ण स्त्री,मै पुरुष जैसा तैसा,
प्रकृति को हर मौज है उसमे,मै कुछ देर का झरोका हूं,
वो एक नदी प्रेम का,मै बांध सा उसको रोका हूं,
उसकी चंचलता सड़को सी,मै एक दिशा में चलने वाला,
जाने कब किस दिशा में मुड़ जाए,मेरे लिए यह खेल निराला,
वो शांत नदी सी बहने वाली,
मै कल कल का कोलाहल वाला,
वो देवताओं के आराधना वाली,
मै नास्तिक तर्क करने वाला,
फिर भी वो गुणों में असुर में आती,
कुंडली में मै देव बताता
सारे गुण विपरीत से होकर,
प्रेम का बंधन ही हमे मिलता ।।
~ देववाणी
©Devraj singh rathore
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