White बून्द बून्द कर मेरे दिमाग़ केकलश मे दुनिया | हिंदी कविता

"White बून्द बून्द कर मेरे दिमाग़ केकलश मे दुनिया वालो ने जो कुछ भरा मैंने कभी विरोध नही किया लेकिन एक दिन ज़ब वो कलश गले तक भरने के बाद टूटा तो मैंने देखा पाया वो अज्ञान का ज़हर था ©Parasram Arora"

 White बून्द बून्द  कर
मेरे दिमाग़ केकलश मे 
दुनिया वालो ने  
जो कुछ भरा 
मैंने कभी विरोध नही किया 

लेकिन एक दिन 
ज़ब वो कलश गले तक
भरने के बाद टूटा तो 
मैंने देखा  पाया वो
 अज्ञान का ज़हर था

©Parasram Arora

White बून्द बून्द कर मेरे दिमाग़ केकलश मे दुनिया वालो ने जो कुछ भरा मैंने कभी विरोध नही किया लेकिन एक दिन ज़ब वो कलश गले तक भरने के बाद टूटा तो मैंने देखा पाया वो अज्ञान का ज़हर था ©Parasram Arora

अज्ञान का जहर



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