Unsplash "ख्वाब और हकीकत" ख्वाबों की दुनिया बड़ी | हिंदी कवि

"Unsplash "ख्वाब और हकीकत" ख्वाबों की दुनिया बड़ी रंगीन थी, हर मंज़िल करीब और जमीन नर्म थी। चाहत के किस्से, उम्मीदों की बातें, दिल के अरमानों में बसी थीं रातें। पर जब कदम रखा हकीकत की राहों में, मुस्कान खो गई कड़ी चाहतों में। दर्द का समंदर हर कोने में मिला, ख्वाबों का सवेरा कहीं खो सा गया। अब दिल ने सिख लिया है सहना, हर ग़म को अपना कहकर सहना। पर फिर भी उम्मीद के दीप जलते हैं, टूटे ख्वाब हर रात बनकर संवरते हैं। हकीकत भले सख्त हो, बेरहम हो, पर ख्वाबों में आज भी नर्म एहसास हैं। क्योंकि ये दिल अब भी जीता है, उन अधूरी कहानियों के पास हैं। ©Ashish Bhagat"

 Unsplash "ख्वाब और हकीकत"

ख्वाबों की दुनिया बड़ी रंगीन थी,
हर मंज़िल करीब और जमीन नर्म थी।
चाहत के किस्से, उम्मीदों की बातें,
दिल के अरमानों में बसी थीं रातें।

पर जब कदम रखा हकीकत की राहों में,
मुस्कान खो गई कड़ी चाहतों में।
दर्द का समंदर हर कोने में मिला,
ख्वाबों का सवेरा कहीं खो सा गया।

अब दिल ने सिख लिया है सहना,
हर ग़म को अपना कहकर सहना।
पर फिर भी उम्मीद के दीप जलते हैं,
टूटे ख्वाब हर रात बनकर संवरते हैं।

हकीकत भले सख्त हो, बेरहम हो,
पर ख्वाबों में आज भी नर्म एहसास हैं।
क्योंकि ये दिल अब भी जीता है,
उन अधूरी कहानियों के पास हैं।

©Ashish Bhagat

Unsplash "ख्वाब और हकीकत" ख्वाबों की दुनिया बड़ी रंगीन थी, हर मंज़िल करीब और जमीन नर्म थी। चाहत के किस्से, उम्मीदों की बातें, दिल के अरमानों में बसी थीं रातें। पर जब कदम रखा हकीकत की राहों में, मुस्कान खो गई कड़ी चाहतों में। दर्द का समंदर हर कोने में मिला, ख्वाबों का सवेरा कहीं खो सा गया। अब दिल ने सिख लिया है सहना, हर ग़म को अपना कहकर सहना। पर फिर भी उम्मीद के दीप जलते हैं, टूटे ख्वाब हर रात बनकर संवरते हैं। हकीकत भले सख्त हो, बेरहम हो, पर ख्वाबों में आज भी नर्म एहसास हैं। क्योंकि ये दिल अब भी जीता है, उन अधूरी कहानियों के पास हैं। ©Ashish Bhagat

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