White सोचना ज़रूर "
कभी फुर्सत मिले
तो बैठकर "सोचना ज़रूर"
बन जाते हैं क्यों अजनबी
अपने, और अपने चले जाते हैं दूर।
कुछ तो है जन्मों का फेर
लेकिन, कुछ कुदरत का भी है दस्तूर।
दो तान एक मन हो जाते हैं कैसे,
फुर्सत मिले तो बैठकर "सोचना ज़रूर"।
©Anuj Ray
#सोचना ज़रूर "