White हम्म.... कभी-कभी आसमान में तारों की तरफ देख | हिंदी विचार

"White हम्म.... कभी-कभी आसमान में तारों की तरफ देखकर ऐसा लगता है, जैसे हम अभी भी बच्चे है, हाँ...उम्र बढ़ रही है, पर.... मेरा दिल और दिमाग़ अब भी वही है | जब भी तारों को देखती हुँ, तो सबसे ज्यादा टिमटिमाने वाले तारे को देखकर, उसमे कही गुम सी हो जाती हुँ, मुझे नहीं पता....की..... उसे देखकर, मन को क्यों इतना सुकून मिलता है, बचपन से ही मुझे आसमान,तारे और चाँद को देखना पसंद था उनको देखकर देर रात उनसे बातें करती, मेरे पूरे दिन की सारी बातें कहकर उनसे शिकायतें करती, मैं बचपन से ही बहुत चुप-चुप सी रहने वाली थी, कम बातें करती, अपनी बातें अपने तक ही रखती थी, एक बार मेरे पापा ने मुझसे कहा था, जो मन में हो उसे कह दिया करो या लिख दिया करो, वो बात कहीं मेरे ज़हन में बस गयी थी, मैंने इस आसमान, इन टिमटिमातें तारों और चाँद को अपना सीक्रेट दोस्त बना लिया, और फिर एक रोज मेरी प्यारी डायरी भी मेरी दोस्त बन गयी, ना जाने कितने दिन हो गयी मुझे मेरे दोस्तों से मिले, सोचती हुँ एक रोज फिर उनसे मिला जाये, और फिर से कुछ यादें ताज़ा की जाये, मेरी चाहतों और सुकून की तलाश में | ©Sonam kuril"

 White हम्म....
 कभी-कभी आसमान में तारों की तरफ देखकर ऐसा लगता है,
जैसे हम अभी भी बच्चे है,
हाँ...उम्र बढ़ रही है, 
पर.... मेरा दिल और दिमाग़ अब भी वही है |
जब भी तारों को देखती हुँ,
तो सबसे ज्यादा टिमटिमाने वाले तारे को देखकर,
उसमे कही गुम सी हो जाती हुँ,
मुझे नहीं पता....की..... उसे देखकर,
 मन को क्यों इतना सुकून मिलता है,
बचपन से ही मुझे आसमान,तारे और चाँद को देखना पसंद था 
उनको देखकर देर रात उनसे बातें करती,
मेरे पूरे दिन की सारी बातें कहकर उनसे शिकायतें करती,
मैं बचपन से ही बहुत चुप-चुप सी रहने वाली थी,
कम बातें करती, अपनी बातें अपने तक ही रखती थी,
एक बार मेरे पापा ने मुझसे कहा था,
जो मन में हो उसे कह दिया करो या लिख दिया करो,
वो बात कहीं मेरे ज़हन में बस गयी थी,
मैंने इस आसमान, इन टिमटिमातें तारों और चाँद को 
अपना सीक्रेट दोस्त बना लिया,
और फिर एक रोज मेरी प्यारी डायरी भी मेरी दोस्त बन गयी,
ना जाने कितने दिन हो गयी मुझे मेरे दोस्तों से मिले,
सोचती हुँ एक रोज फिर उनसे मिला जाये,
और फिर से कुछ यादें ताज़ा की जाये,
मेरी चाहतों और सुकून की तलाश में |

©Sonam kuril

White हम्म.... कभी-कभी आसमान में तारों की तरफ देखकर ऐसा लगता है, जैसे हम अभी भी बच्चे है, हाँ...उम्र बढ़ रही है, पर.... मेरा दिल और दिमाग़ अब भी वही है | जब भी तारों को देखती हुँ, तो सबसे ज्यादा टिमटिमाने वाले तारे को देखकर, उसमे कही गुम सी हो जाती हुँ, मुझे नहीं पता....की..... उसे देखकर, मन को क्यों इतना सुकून मिलता है, बचपन से ही मुझे आसमान,तारे और चाँद को देखना पसंद था उनको देखकर देर रात उनसे बातें करती, मेरे पूरे दिन की सारी बातें कहकर उनसे शिकायतें करती, मैं बचपन से ही बहुत चुप-चुप सी रहने वाली थी, कम बातें करती, अपनी बातें अपने तक ही रखती थी, एक बार मेरे पापा ने मुझसे कहा था, जो मन में हो उसे कह दिया करो या लिख दिया करो, वो बात कहीं मेरे ज़हन में बस गयी थी, मैंने इस आसमान, इन टिमटिमातें तारों और चाँद को अपना सीक्रेट दोस्त बना लिया, और फिर एक रोज मेरी प्यारी डायरी भी मेरी दोस्त बन गयी, ना जाने कितने दिन हो गयी मुझे मेरे दोस्तों से मिले, सोचती हुँ एक रोज फिर उनसे मिला जाये, और फिर से कुछ यादें ताज़ा की जाये, मेरी चाहतों और सुकून की तलाश में | ©Sonam kuril

#good_night #hmm
हम्म....
कभी-कभी आसमान में तारों की तरफ देखकर ऐसा लगता है,
जैसे हम अभी भी बच्चे है,
हाँ...उम्र बढ़ रही है,
पर.... मेरा दिल और दिमाग़ अब भी वही है |
जब भी तारों को देखती हुँ,
तो सबसे ज्यादा टिमटिमाने वाले तारे को देखकर,

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