"मुश्किलों की पेशकश करती है ll
जिंदगी तो सामने सच रखती है ll
सुदूर से देखकर मजे लेती है,
उम्मीद जैसे दर्शक लगती है ll
झूठ पर आंख मूंदकर यकीं है,
दुनिया सच पर शक करती है ll
पल पल परिवर्तित परिवेश में,
जिंदगी जस की तस लगती है ll
बेचैनियों का भार हल्का करने,
जिंदगी सच को रख सकती है ll"
Preeti uikye 750
18/02/23
©Gondwana sherni
sach