गमों का तकिया, मुस्कान की चादर में लपेट लिया है! | हिंदी शायरी

"गमों का तकिया, मुस्कान की चादर में लपेट लिया है! ऐ ज़िन्दगी मैंने भी तुझे काटना नहीं, अब जीना सीख लिया है!! कोई कितना भी अपना क्यों ना हो, हर बात बताना छोड़ दिया है कहीं तमाशा-ए-जिंदगी न बन जाए, इसलिए..ऐ ज़िन्दगी गम में मुस्कुराने का ये हुनर सीख लिया है!! ©Shalini Nigam"

 गमों का तकिया, 
मुस्कान की चादर में लपेट लिया है! 
ऐ ज़िन्दगी मैंने भी तुझे काटना नहीं,
अब जीना सीख लिया है!!

कोई कितना भी अपना क्यों ना हो, 
हर बात बताना छोड़ दिया है 
कहीं तमाशा-ए-जिंदगी न बन जाए, 
इसलिए..ऐ ज़िन्दगी गम में मुस्कुराने 
का ये हुनर सीख लिया है!!

©Shalini Nigam

गमों का तकिया, मुस्कान की चादर में लपेट लिया है! ऐ ज़िन्दगी मैंने भी तुझे काटना नहीं, अब जीना सीख लिया है!! कोई कितना भी अपना क्यों ना हो, हर बात बताना छोड़ दिया है कहीं तमाशा-ए-जिंदगी न बन जाए, इसलिए..ऐ ज़िन्दगी गम में मुस्कुराने का ये हुनर सीख लिया है!! ©Shalini Nigam

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