गमों का तकिया,
मुस्कान की चादर में लपेट लिया है!
ऐ ज़िन्दगी मैंने भी तुझे काटना नहीं,
अब जीना सीख लिया है!!
कोई कितना भी अपना क्यों ना हो,
हर बात बताना छोड़ दिया है
कहीं तमाशा-ए-जिंदगी न बन जाए,
इसलिए..ऐ ज़िन्दगी गम में मुस्कुराने
का ये हुनर सीख लिया है!!
©Shalini Nigam
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