Unsplash इको पोइंट में पाई 'रेक' की आत्मा खुले में | हिंदी शायरी

"Unsplash इको पोइंट में पाई 'रेक' की आत्मा खुले में चाय, ब्रेड पकड़े हाथ में गुनगुनी धूप सेवन, गपशप के साथ में ढोल की थाप , ट्रेक्टर का संगीत पानी किनारे लगा ब्रह्मसर पास में पहले सिर्फ ग्लेमर की बात होती थी वहां वह भी था कइयों के साथ में तो कई ढूंढ रहे थे बीता समय बातों में।। ©Mohan Sardarshahari"

 Unsplash इको पोइंट में पाई 'रेक' की आत्मा
खुले में चाय, ब्रेड पकड़े हाथ में 
गुनगुनी धूप सेवन, गपशप के साथ में 
ढोल की थाप , ट्रेक्टर का संगीत
पानी किनारे लगा ब्रह्मसर पास में 
पहले सिर्फ ग्लेमर की बात होती थी
वहां वह भी था कइयों के साथ में
तो कई ढूंढ रहे थे बीता समय बातों में।।

©Mohan Sardarshahari

Unsplash इको पोइंट में पाई 'रेक' की आत्मा खुले में चाय, ब्रेड पकड़े हाथ में गुनगुनी धूप सेवन, गपशप के साथ में ढोल की थाप , ट्रेक्टर का संगीत पानी किनारे लगा ब्रह्मसर पास में पहले सिर्फ ग्लेमर की बात होती थी वहां वह भी था कइयों के साथ में तो कई ढूंढ रहे थे बीता समय बातों में।। ©Mohan Sardarshahari

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