चंद्रयान
चीरकर गुरुत्व बल, वो चल रहा सबल प्रबल,
जिज्ञासाओं से ओतप्रोत, खोज को रहा मचल।
धरा से अंतरिक्ष तक, जो देवीध्यमान है,
शान ए हिंदुस्तान, हमारा चंद्रयान है।
ज्ञान को, विज्ञान को, सम्मान और अभिमान को,
जो विश्व में चमका रहा, विश्व गुरु हिंदुस्तान को।
अज्ञान को अब जानने, प्रज्ञान आगे बढ़ रहा ,
कदमों से अब प्रज्ञान के, हिंदुस्तान आगे बढ़ रहा।
इतिहास से ले सिख, कामयाब उड़ता जा रहा,
नित्य कोशिशो से नव, इतिहास गढ़ता जा रहा।
धरा से अंतरिक्ष तक, जो देवीध्यमान है,
शान ए हिंदुस्तान, हमारा चंद्रयान है।
-विष्णुपूत्र भरत कुमार शर्मा-
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