लोगों के बदलते चेहरे,उनकी फजा बताती है,
ठोकर खाना भी जरूरी है, मंजिल का पता बताती है !
हमारे अपने हमारा अच्छा चाहने वाले होते ही नही,
वक्त के साथ बदलती जरूरत, उनकी रजा बताती है !
लगातार भटक कर ही मिलती है, मंजिल एक राही को,
अक्सर ठोकरें ही, मंजिल का असली मजा दिखाती है !
जो ईमानदारी से लगे रहते है,अपने कर्मपथ पर,
वक्त की आदलत उन्हें,कामयाबी की सजा सुनाती है !
©Thakur Vivek Krishna
#मंजिल