"खुदा उन्हें यूंही , मशरूफ रखे
महफिल में रौनक, उनके खूब रखे
हम भी निकल रहे, दौर–ए–जार से
नाकद्र लोगों के ,बे_मने प्यार से
ना सवाल कोई , ना उनका इंतजार होगा
न आंखें होगी नम,न दिल बेताब होगा
उनको रहना है दूर,तो उनको दूर रखे
खुदा उन्हें यूंही , मशरूफ रखे "