चिड़ियों की आज खूबी भी बड़ी बाकमाल है।
बदलती रही हैं शाख जरा भी ना मलाल है।
अण्डे से निकले नन्हें परिंदे भी उड़ चले,
ना फिक्र है वालीदैन की, ना खुदा का ख्याल है।
बिखरा हुआ कोई दाना चुंग लेना मत कहीं।
शायद तुम्हें नहीं पता वो शिकारी की जाल है।
करते रहे दिन रात जिनके परवाज की दुवाएं,
उड़े ऐसे की पूछ भी ना सके हमारा क्या हाल है।
चिड़ियों की आज खूबी भी बड़ी बाकमाल है।
बदलती रही हैं शाख जरा भी ना मलाल है।
~(R.A.F.)
©Silent Shayar
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